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कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! इस राज्य सरकार ने फिर लागू की पुरानी पेंशन स्कीम, जानिए पूरी डिटेल

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कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! इस राज्य सरकार ने फिर लागू की पुरानी पेंशन स्कीम, जानिए पूरी डिटेल

Pension: कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने का फैसला किया है जिससे देश में पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर हंगामा देखने को मिल रहा है. हालांकि, हिमाचल प्रदेश सरकार ने आखिरकार 1 अप्रैल से राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) की बजाय पुरानी पेंशन योजना (OPS) पर वापस चलने का फैसला लिया है. कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनावों में 2022 में OPS में वापस जाने का वादा किया था.


पुरानी पेंशन स्कीम
हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने एक अधिसूचना जारी की है जिसमें बताया गया है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू कर दिया जाएगा. अधिसूचना के अनुसार, 1 अप्रैल, 2023 से हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारियों का योगदान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत आने वाले पेंशन योजना के अंतर्गत नहीं आएगा. सीसीएस (पेंशन) नियम 1972 के तहत यह फैसला लिया गया है.

पेंशन
हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में अपनी बैठक में ओपीएस को बहाल करने का निर्णय लिया है। इस कदम से रिटायर और सेवारत कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और 20 वर्ष से अधिक की सेवा वाले कर्मचारी मूल वेतन और डीए के 50 प्रतिशत पेंशन के हकदार होंगे।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार का उद्देश्य सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। ओपीएस को लागू करने से सामाजिक सुरक्षा और मानवता की दृष्टि से लाभ होगा।

इस कदम से सरकारी खजाने पर 1000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है, लेकिन वित्तीय अनुशासन और खर्चों में कटौती के माध्यम से इस व्यय की सामर्थ्य हासिल की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस पर भी जोर दिया है कि हमारा मानना है कि ऐसा कोई काम नहीं है जो नहीं किया जा सकता है।

नई पेंशन योजना बनाम पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की पेंशन उसके अंतिम वेतन पर आधारित होती है। वहीं एनपीएस योजना अंशदान पेंशन प्रणाली के तहत जानी जाती है। ओपीएस योजना में कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत निकाल सकता है।

वहीं, एनपीएस योजना के तहत एक व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के समय उसके कार्य वर्षों के दौरान संचित कोष का 60 प्रतिशत निकालने की अनुमति होती है, जो कर-मुक्त होता है। शेष 40 प्रतिशत को एक वार्षिक उत्पाद में परिवर्तित कर दिया जाता है, जो वर्तमान में व्यक्ति को उसके आखिरी सैलरी का 35 प्रतिशत पेंशन प्रदान कर सकता है।