इस मंदिर में आधी रात को मूर्तियां करती हैं एक दूसरे से बात, जानें अद्भुत रहस्य
मंदिर के पुजारी से लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई भ्रम या अफवाह नहीं है. मंदिर के सामने से जो सड़क गुजर रही है, वहां तक आवाज जाती है.

कई बार दुनिया में ऐसी चीजें होती हैं जिसपर यकीन कर पाना मुश्किल होता है. हम आपको ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने जा रहा है. जहाँ मंदिर में मूर्तियां एक दूसरे से बात करती है बिहार (bihar ) के बक्सर में250 साल पुरानी दक्षिणेश्वरी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर (Raj Rajeshwari Tripur Sundari Mandir) स्थित है. पिछले कई सालों से यह मंदिर इस बात को लेकर चर्चा में है कि प्रत्येक अमावस्या, पूर्णिमा, गणेश चतुर्दशी और नवरात्रि की अष्टमी को मध्य रात्रि में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तो इस मंदिर में स्थापित मूर्तियां आपस में बातें करती हैं.
250 साल पुराने इस मंदिर में प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग मात्था टेकने के लिए आते हैं. उनका मानना है कि रात्रि में जब मंदिर का कपाट बंद हो जाता है, तो मूर्तियां आपस मे बात करती हैं. मंदिर के पुजारी से लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई भ्रम या अफवाह नहीं है. मंदिर के सामने से जो सड़क गुजर रही है, वहां तक आवाज जाती है."कई बार ऐसा लगा कि कोई भक्त मंदिर के अंदर ही रह गया हो, और गलती से मंदिर का कपाट बंद कर दिया गया है. आवाज सुनकर मंदिर का कपाट जब भी खोला जाता है, तो आवाज बंद हो जाती है. बता दें कि जब इस चमत्कार की खबर फैलनी शुरू हुई थी तो कई वैज्ञानिक इस रहस्य से पर्दा उठाने के लिए परिश्रम करते रहे. लेकिन आवाज कहां से आती है, इसका पता आज तक नहीं चल सका है. वर्षों तक रिसर्च करने के बाद वैज्ञानिक भी अंत में दैवी शक्ति के आगे हार मानकर चले गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि कोई भी व्यक्ति मध्यरात्रि में आकर यह आवाज सुन सकता है. क्योंकि मूर्तियों की आपस में बात करने की आवाज किसी खास व्यक्ति को नहीं बल्कि सबको सुनाई देती है
तंत्र विद्या को सिद्ध करने के लिए देश के कोने कोने से इस मंदिर में तांत्रिक, अमावस्या, पूर्णिमा, गणेश चतुर्दशी को पहुंचते हैं. इस मंदिर बारे में खोज करने वाले कई वैज्ञानिक भी इस मंदिर को एक चमत्कारी मंदिर मानते हैं. कहा जाता है कि आधी रात को कपाट बंद होने के बाद जब मंदिर के पास से कोई गुजरता है तो उसे तीनों देवी माताओं की आपस में बातचीत करने की आवाजें सुनाई देती है.कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर एवं मूर्ति की स्थापना एक सिद्ध तांत्रिक भक्त ने अपनी तंत्र साधना से करवाई थी. भक्तों की मान्यता है कि माता के इस सिद्ध मंदिर में बैठकर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से भक्तों की एक साथ कई मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां माता को सिर्फ सुखे मेवे का भोग लगाया जाता है.