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जग्‍गी वासुदेव 'सद्गुरू' ने कहा महिलाओं को तय करने दें कि वे कैसे कपड़े पहने

ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के संस्‍थापक जग्‍गी वासुदेव 'सद्गुरू' (Jaggi Vasudev 'Sadguru') ने कहा है कि महिलाओं को तय करने दें कि वे कैसे कपड़े पहनना चाहती हैं. उन्‍होंने इस ट्वीट में हैशटैग ईरान (Iran), हिजाब (Hijab) और महसा अमिनी (MahsaAmini) भी जोड़ा है.

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Jaggi Vasudev  Sadguru

ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के संस्‍थापक जग्‍गी वासुदेव सद्गुरू’  (Jaggi Vasudev ‘Sadguru’ )  ने कहा है कि महिलाओं को तय करने दें कि वे कैसे कपड़े पहनना चाहती हैं. उन्‍होंने अपने ट्वीट में कहा है कि महिलाओं को कैसे कपड़े पहनने चाहिए, इसका निर्धारण न तो धार्मिक और न ही लंगूरों को करना चाहिए. महिलाओं को तय करने दें कि वे कैसे कपड़े पहनना चाहती हैं. किसी को उनके पहनने के लिए दंडित करने की इस प्रतिशोधी संस्कृति को समाप्त किया जाए, चाहे वह धार्मिक हो या अन्यथा.उन्‍होंने इस ट्वीट में हैशटैग ईरान (Iran), हिजाब (Hijab) और महसा अमिनी (MahsaAmini) भी जोड़ा है. दरअसल, ईरान में 22 वर्षीय छात्रा महसा अमिनी की मौत के बाद हंगामा मचा हुआ है. वह हिजाब न पहनने के कारण पुलिस की बर्बरता का शिकार हुई. ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है. महसा अमिनी की मौत के बाद ईरान में विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं. महिलाएं हिजाब को आग लगाती हुई दिख रही हैं. ईरान की न्यूज एजेंसी एतेमाद के मुताबिक महसा अमिनी अपने परिवार के साथ पश्चिमी प्रांत कुर्दिस्तान से राजधानी तेहरान जा रही थी, तभी उसे ईरान में महिलाओं के लिए ड्रेस कोड को कथित रूप से तोड़ने के आरोप में हिरासत में लिया गया था. प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि अमिनी को पुलिस वैन के अंदर पीटा गया था. हिरासत में रखते हुए उसे पहले अस्पताल ले जाया गया, जहां वह कोमा में चली गई और उसकी मौत हो गई. इसका महिलाओं के बीच देशव्यापी विरोध शुरू हो गया है. ईरानी पत्रकार और कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें कुछ महिलाएं अपनी चोटी काट रही हैं और हिजाब को जला रही हैं. उन्होंने लिखा कि हिजाब पुलिस द्वारा महसा अमिनी की हत्या के विरोध में ईरानी महिलाएं अपने बाल काटकर और हिजाब जलाकर अपना गुस्सा दिखा रही हैं.