Haryana Farmer News: हरियाणा के इस जिले में लगी धारा 144, प्रशासन ने दी किसानों को चेतावनी

Sirsa Farmer News: सिरसा जिले में अब गेहूं की कटाई का अंतिम चरण शुरू हो चुका है। लगभग 60 से 70 फीसदी गेहूं की फसल कट चुकी है और उसका खरीदारी भी हो चुका है। इस दौरान, कुछ गेहूं के खेतों में फसल अभी भी बची हुई है, लेकिन इसकी कटाई जल्द ही समाप्त होने वाली है।
इस समय, जब गेहूं की कटाई समाप्त हो रही है, जिला प्रशासन भी किसानों को गेहूं के अवशेषों को नहीं जलाने के लिए जागरूक कर रहा है। सिरसा जिले के किसानों ने इस मुद्दे पर एक उत्तम उदाहरण पेश किया है।
समान रूप से, गेहूं के अवशेषों को जलाने के मुद्दे पर जिला प्रशासन कड़ाई बरत रहा है। सिरसा जिले के प्रशासन ने धारा 144 लागू की है। यदि कोई किसान गेहूं के अवशेषों को जलाने के दौरान पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वर्तमान में, प्रशासन किसानों को चेतावनी देने के साथ साथ, गांवों में कृषि विभाग और ग्राम पंचायतों के सहयोग से जागरूकता के लिए काम कर रहा है। किसान भी जिला प्रशासन के जागरूकता अभियान से प्रेरित दिखाई दे रहे हैं।
सिरसा जिले में गेहूं की कटाई अंतिम दौर में तेज़ी से चल रही है। इस संबंध में सिरसा जिला प्रशासन ने किसानों को अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए सख्ती बढ़ाई है। इस समस्या के समाधान के लिए, सिरसा जिला प्रशासन किसानों को जागरूक कर रहा है कि वे अवशेषों में आग नहीं लगाएं। सिरसा उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने गेहूं के अवशेषों को जलाने की क्रिया के खिलाफ जनहित में दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के तहत तुरंत प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
अब सिरसा उपायुक्त के आदेशों का प्रभाव दिखाई देने लगा है. क्षेत्र के किसान अब गेहूं के अवशेषों को टूटने से रोकने में लगे हुए हैं और अन्य किसानों को भी इस बात की प्रोत्साहना मिल रही है कि वे अवशेषों में आग नहीं जलाएं.
सिरसा जिले के उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में गेहूं की कटाई चल रही है और इसलिए इस साल भी किसानों से अनुरोध है कि वे गेहूं के अवशेषों को न जलाएं। इसके लिए धारा 144 लागू की गई है। उन्होंने किसानों से पराली प्रबंधन के उपाय अपनाने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की सलाह दी। वे बताते हैं कि सरकार पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध मशीनों पर सब्सिडी भी प्रदान करती है और प्रति एकड़ पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को हजार रुपये का प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
Baldev Singh, Vishal, and Gobind, एक तरफ बताते हैं कि पिछले कई सालों से वे अपनी फसल कटाई के बाद अवशेषों को तुड़ी में बदलते हैं और दूसरे किसानों को भी यह संदेश देते हैं कि फसल कटाई के बाद अवशेषों को नहीं जलाना चाहिए। इन टूटियों को पशुओं के चारे के काम में लाया जा सकता है। अन्य किसान भी अवशेषों को आग लगाकर पर्यावरण को नहीं दूषित करना चाहिए।