जुबिन नौटियाल करेंगे 'पापा' का काम आसान !

मखमली आवाज़ के जरिए देश के नौजवानों के दिलों की धड़कन बन चुके ज़ुबिन नौटियाल पर अप अपने पिता को जिवाने की जिम्मेदारी भी है। क्योंकि बीजेपी ने भी कहीं न कहीं जुबिन नौटियाल की कामयाबी को आधार बनाकर ही सबसे मुश्किल सीट और कांग्रेस के कढ़ कचराता में सेंध लगाने के लिए भेजा है। ये हकीकत है कि कांग्रेस के मौजूदा विधायक और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह लगातार चार बार से यहां से विधायक हैं लेकिन ये भी सच है कि पिछली बार जीत हार का मार्जिन सिर्फ 1500 वोट तक सीमित हो गया था।
बीजेपी की ओर से सेंध लगाने का आधा काम 2017 में हो चुका था और अब बचा हुआ काम जुबिन नौटियाल और उनके पिता रामशरण नौटियाल को करना है। जुबिन के पिता 2014 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे और पूर्व में देहरादून से जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत की मौजूदगी में उन्होंने 2014 में बीजेपी ज्वाइन की थी। इससे पहले वह कांग्रेस के उत्तराखंड प्रदेश उपाध्यक्ष थे। एसे में पिता का अनुभव और जुबिन नौटियाल की प्रसिद्धी कामयाबी का कॉकटेल बना सकती हैं।
वहीं अगर इस सीट के इतिहास की बात की जाए तो 2002 में पहली बार इस सीट पर विधानसभा का चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रीतम सिंह विधायक चुने गए थे. उन्होंने उत्तराखंड जनवादी पार्टी के प्रत्याशी मुन्ना सिंह चौहान को हराया था. 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रीतम सिंह दूसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार मधु सिंह चौहान को हराया था. 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रीतम सिंह ने सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई. उन्होंने उत्तराखंड जनवादी पार्टी के उम्मीदवार मुन्ना सिंह को हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रीतम सिंह को 33,187 वोट मिला था, जबकि दूसरे नंबर पर रहे उत्तराखंड जनवादी पार्टी के मुन्ना सिंह को 26,533 वोट मिला था. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रीतम सिंह लगातार चौथी बार विधायक चुने गए. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मधु सिंह को हराया था हालांकि जीत का मार्जिन सिर्प 1500 वोटों का था।