सिद्धू मूसेवाला के साथ THAR में मौजूद दोस्त ने बताई हत्याकांड की पूरी कहानी, जानिए यहां

सिद्धू मूसेवाला को चाट और फास्ट फूड खाने का बहुत शौक था. पिछले साल इसी 29 मई की उस मनहूस शाम वो गोलगप्पे खाने के लिए हवेली से निकले थे. सुखपाल सिंह और साथ जा रहे दोस्तों से कहा कि अभी कुछ देर में लौट आएंगे...लेकिन किसी को नहीं पता था कि मूसेवाला अपनी Last Ride पर निकल चुके हैं.
'सिद्धू ने पिस्टल दिखाते हुए कहा - गनमैन की जरूरत नहीं पड़ेगी'
हवेली यानी सिद्धू के घर के मौजूद गैराज में घूमते वक्त सुखपाल सिंह से हमारी मुलाकात हुई. चेहरे पर एक अजीब सी उदासी और जिम्मेदारियों से झुके कंधे. ये शख्स इस वक्त मूसेवाला के बूढे मां-बाप और उनके कामकाज की पूरी जिम्मेदारी उठाए हुए है.
29 मई की उस शाम को याद करते हुए सुखपाल सिंह बताते हैं... मूसेवाला मुझे घर के गैराज वाले गेट पर मिला. वह थार गाड़ी से कहीं जा रहा था. मैंने इशारे में पूछा... कहां? मूसेवाला ने गाड़ी से इशारा किया... गोलगप्पे खाने.
मैंने इशारे में आगे पूछा- गनमैन (सिक्योरिटी गार्ड) कहां हैं?
उसने हाथ में अपनी पिस्टल उठाकर मुझे दिखाई... कि हथियार मेरे साथ है.
वो कहते हैं... मैंने घर पहुंचकर बस पानी का गिलास उठाया ही था कि जवाहरके गांव से मेरे जानने वाले का फोन आ गया कि यहां सिद्धू पर फायरिंग हो गई है.
मेरे हाथ से गिलास छूट गया, मैंने फटाफट माताजी (सिद्धू की मां) को फोन किया और गोलीबारी के बारे में बताया. माताजी ने कहा कि जल्दी आ जाओ. मैं भी घर से फटाफट निकला. इतनी देर में माताजी मोटरसाइकिल पर किसी और के साथ बैठकर घटनास्थल पर पहुंच चुकी थीं.
सुखपाल आगे बताते हैं कि फिर वह हॉस्पिटल में पहुंच गए. जहां सिद्धू को मृत घोषित कर दिया गया.
बुलेटप्रूफ गाड़ी, गनमैन छोड़कर THAR से क्यों गए?
29 मई हत्याकांड को लेकर हमारे मन में कई सवाल थे. इनमें से एक यह भी था कि जब सिद्धू के पास बुलेटप्रूफ कार थी तो वो थार से क्यों गए और बॉडीगार्ड भी साथ लेकर क्यों नहीं गए. इसपर सुखपाल ने कहा... थार गाड़ी सिद्धू मूसेवाला की नहीं थी. गांव के पास वो कार वॉशिंग के लिए आई थी. सिद्धू उसे रुककर देखने लगे और बोले कि गाड़ी बहुत सुंदर लग रही है. जो गाड़ी का मालिक था वह सिद्धू का फैन ही था. उसने वो गाड़ी सिद्धू को कुछ दिन चलाने के लिए ऐसे ही दे दी.
सिद्धू को वो थार इतनी पसंद आई कि गांव और आसपास के इलाके में वह बुलेटप्रूफ गाड़ी की जगह उसे ही लेकर घूमने लगे. सुखपाल ने बताया कि हत्याकांड के दिन एक बॉडीगार्ड की तबीयत ठीक नहीं थी, दूसरे को सिद्धू लेकर नहीं गए क्योंकि थार में बैठने का स्पेस कम रहता है.
मूसेवाला के बिना मां-बाप की जिंदगी कैसी है? इस सवाल पर सुखपाल भी भावुक हो जाते हैं. वह कहते हैं कि माता-पिता दिन में छह-सात बार रोते हैं. मूसेवाला की कोई भी वीडियो अचानक उनके सामने (सोशल मीडिया पर) आ जाती है तो रोने लगते हैं.
दोस्त एक-एक गोली भी चलाते रहते तो बच जाते सिद्धू?
बातचीत में सुखपाल ने सिद्धू के उन दो दोस्तों का जिक्र भी किया जो हत्याकांड के वक्त थार गाड़ी में उनके साथ थे. इनके नाम गुरप्रीत और गुरविंदर थे. सुखपाल कहते हैं गुरप्रीत और गुरविंदर मूसेवाला के बचपन के दोस्त थे. दोनों हथियार चलाना नहीं जानते थे. अगर वे लोग सिद्धू का हथियार पकड़कर उससे रुक-रुककर एक-एक फायर भी करते रहते तो वो लोग यानी हत्यारे पास ही नहीं आते.
दोस्त... जिसने सिद्धू की हत्या होते देखी
सुखपाल से मिलने के बाद हम गुरप्रीत सिंह के पास पहुंचे. वह मूसा गांव में ही सिद्धू के पुराने घर से थोड़ा सा आगे रहते हैं. फिलहाल उनको भी सुरक्षा के लिहाज से एक गनमैन पंजाब सरकार ने दिया हुआ है.
टी-शर्ट में खड़े गुरप्रीत सिंह को देखते ही सबसे पहले नजर उनके हाथ पर गई. उल्टे हाथ पर कोहनी के आसपास बड़ा सा निशान. पूछने पर पता चला कि ये जख्म AK-47 बंदूक की फायरिंग से मिला है, जो मूसेवाला के हत्यारों ने चलाई थी.
उस दिन सिद्धू उनको कहां घुमाने ले जा रहे थे? इसपर गुरप्रीत सिंह ने कहा कोई ज्यादा प्लान नहीं था. यहीं पास में रोड पर सिद्धू कई बार गोलगप्पे आदि फास्ट फूड खाने चले जाते थे. उस दिन भी सिद्धू वहीं जा रहे थे. बस स्टैंड पर पहुंचकर सिद्धू बोले कि पास में उनकी मौसी के घर भी जाना है.
यह सुनकर गुरप्रीत ने सिद्धू से कहा- फिर या तो बुलेटप्रूफ गाड़ी लेकर आना था या गनमैन साथ होना चाहिए था. फिर सिद्धू ने कहा कि बस जल्दी से होकर आते हैं कोई दिक्कत नहीं होगी.
पहली गोली मूसेवाला ने चलाई
गुरप्रीत ने आगे बताया कि... आगे जाकर हमें लगा कि कोई गाड़ी है जो हमारा पीछा कर रही है. लेकिन गाड़ी ने आगे रूट चेंज कर लिया. सिद्धू बोला कि कोई फैन-फून होगा फोटू-वगैरह लेने आया होगा.
फिर आगे दो तीन मोड़ आते हैं, वहां वह गाड़ी फिर से हमारे पीछे आ जाती है. तब हमें लगा कि कोई दिक्कत है. हमने सिद्धू से बोला कि भाई गाड़ी भगा. इतनी देर में ही एक गाड़ी उनको ओवरटेक करके आगे आ गई. सिद्धू ने देख लिया उनके पास गन है और वो फायरिंग करने वाले हैं. सिद्धू ने उनके हरकत में आने से पहले ही अपनी पिस्टल से गोली चला दी. पहली गोली सिद्धू ने ही मारी. इसके बाद तकरीबन एक मिनट तक गोलियां चलती ही रहीं.
गुरप्रीत की मानें तो सिद्धू की पिस्टल से सात गोलियां चली थीं. एक आधा मिनट वहां गोलियां चलीं और फिर हत्यारे भाग गए. गोलीबारी के बाद पांच सात मिनट तक कोई आसपास नहीं आया. उसके बाद लोग आए. जबतक सिद्धू की मौत हो चुकी थी. फिर पुलिस ने आकर तीनों को हॉस्पिटल पहुंचाया.
हत्याकांड में गुरप्रीत और गुरविंदर किस्मत से बच तो गए, लेकिन फिर उनपर भी सवाल उठने लगे. लोगों का कहना था कि इतनी भीषण गोलीबारी में दोनों बच गए तो हत्याकांड में उनका भी हाथ हो सकता है. इसका जिक्र करते हुए गुरप्रीत बोले कि लोगों ने कहा कि ये साथ में थे ये क्यों बच गए, इनका हत्याकांड में हाथ होगा लेकिन सिद्धू का परिवार हमारे साथ था, उन्होंने कभी कुछ नहीं बोला.
सिद्धू को मारी गई थीं 24 गोलियां
29 मई 2022... यही वो वक्त था जब मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की सरेआम हत्या कर दी गई थी. उनकी गाड़ी को घेरकर शूटर्स ने अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं. ये शूटर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ गैंग के थे.
हत्याकांड कितना भयावह था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पोस्टमार्टम में सिद्धू के शरीर पर गोलियों के 24 निशान मिले थे. यानी हत्यारे किसी भी कीमत पर मूसेवाला को जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे. करीब एक मिनट तक चली गोलियों का खौफ उस इलाके के लोगों के चेहरे पर अबतक देखा जा सकता है.