500 रुपए किलो बिकती है लाल भिंडी, साथ में नीले आलू की खेती करेगी मालामाल
वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें आम भिंडी से कहीं ज्यादा आयरन, कैल्शियम और जिंक की मात्रा होती है. बता दें लाल भिंडी को लगाने में ज्यादा लागत नहीं आती है. इसकी लागत हरी भिंडी के बराबर ही है.

खेती-किसानी में नए-नए प्रयोग करके फसलों का रंग और रूप भी बदला जाने लगा है. इन सभी प्रयोग का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है. देश में इस वक्त लाल भिंडी और नीले आलू की भी खेती होने लगी है. इन फसलों की कीमत सामान्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा होती है. इससे किसान बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
लाल भिंडी के बारे में जानते हैं आप?
आमतौर पर लोग हरी भिंडी के बारे में जानते हैं. हालांकि, देश के कई राज्यों में इस वक्त लाल भिंडी की भी खेती होने लगी है. इसकी भी बुवाई हरी भिंडी की ही तरह होती है. इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है. इसका स्वाद सामान्य भिंडी से ज्यादा बेहतर होता है. साथ ही इसमें हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह एंथोसाइनिन की मात्रा होती है, जो इसके लाल रंग का कारक है.
वैज्ञानिकों की मानें तो इसमें आम भिंडी से कहीं ज्यादा आयरन, कैल्शियम और जिंक की मात्रा होती है. बता दें लाल भिंडी को लगाने में ज्यादा लागत नहीं आती है. इसकी लागत हरी भिंडी के बराबर ही है. बाजार में इसकी बिक्री हरी भिंडी से ज्यादा कीमत पर होती है. मंडियों में लाल भिंडी तकरीबन 500 रुपये किलो तक बिकती है. इससे किसान बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
नीला आलू पोषक तत्वों से भरपूर
आमतौर पर जो आलू आपने देखा होगा, वह सफेद या लाल रंग का होगा. हालांकि, देश में नीले रंग के आलू की भी प्रजाति मौजूद है. इसका नाम कुफरी नीलकंठ है. केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मेरठ के वैज्ञानिकों ने यह आलू विकसित किया था. इस आलू में एंथोसाइनिल, एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा है. वैज्ञानिकों की मानें तो नीलकंठ आलू का उत्पादन 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर है. यह आलू 90 से 100 दिन में तैयार हो जाता है. साथ ही बाजार में सामान्य आलू के मुकाबले इसकी कीमत दोगुनी मानी जाती है. इससे किसान काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं