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Photo: ये है दुनिया का सबसे बड़ा ‘हल’, वजन में है 30000 किलो, देखें तस्वीरें

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इंसानों के विकास में कृषि का सबसे बड़ा योगदान रहा है. एक समय था खेती बगैर हल के संभव नहीं थी. हल ही वो औजार है जिससे खेती की जाती है. अगर सही मायने में देखा जाए तो हल का महत्व बहुत अधिक है और हल सबसे पुराने औजारों में से एक है जो किसी भी किसान के लिए उसकी रोजी रोटी है.

इससे वो मिट्टी की परत को ऊपर नीचे कर बीजों को बोता है. सही मायने में देखा जाए तो हल किसानी से जुड़ी तमाम समस्याओं का हल ह. लेकिन क्या आपने 30 हजार किलो के हल के बारे में सुना है. अगर नहीं तो इन दिनों एक ऐसे ही हल की चर्चा हो रही है.

यहां बात हो रही है. दुनिया का सबसे बड़े हल (Worlds Largest Plough) की, जो अब म्यूजियम की चहारदीवारी में कैद हो चुकी है.ऑडिटी सेंट्रल न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट की माने तो इस हल को दुनिया ओटोमेयर मैमट नाम से जानती है.

अब आपके मन में सवाल तो जरूर उठ रहा होगा. इतने बड़े हल का भला क्या काम होता होगा? जानकारी के लिए बता दें कि इसका इस्तेमाल दलदल को खेती लायक जमीन बना देता है था. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये थे कि के लिए उपजाऊ जमीन बनाने के लिए किया जाता था.


यहां देखिए तस्वीर

इसकी सबसे उपलब्धी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जर्मनी का एक जिला था एम्सलैंड…जो तरक्की के मामले में पूरे जर्मनी से पिछड़ चुका था. ऐसे में सरकार ने तय किया वो इलाके की जमीन को खेती लायक बनाई जाएगी.

ऐसे में एक इंजीनियर ओटो मेयर ने इसे चुनौती के रूप में लिया और एक विशाल हल बनाया, जिसमें 4 शक्तिशाली स्टीम ट्रैक्शन इंजन लगाए गए. जो इस हल को खींचकर खेत जोतने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. ये इंजन जमीन के दोनो तरफ लगाया जाता था. जिससे साइड लगाया जाता था जो धातु की रस्सियों के जरिए हल को खींचता था और इस हल के बदौलत उस जमीन को उपजाऊ बनाया गया.

कहते हैं आज के समय में जर्मनी की वो दलदली जमीन दुनिया की सबसे उपजाऊ जगह में से एक बन चुकी है. इसकी कामयाबी को देखकर साल 1950 में ऐसे 12 हल बनाए गए. जिसकी मदद से 17 हजार हेक्टेयर जमीन को जोता गया था और दलदल से बदलकर उन्हें उपजाऊ बनाया गया.

इसको जानने वाले बताते हैं कि इसको आप हफ्ते में छह दिन चलाया जा सकता था. लेकिन साल 1970 में मशीनों के विकास के बाद इसे इसे बंद कर के म्यूजियम में सजा दिया गया.