चंद्रमा का आकार: चंद्रमा का व्यास लगभग 3,474 किलोमीटर है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग एक चौथाई है।
चंद्रमा की दूरी: चंद्रमा पृथ्वी से औसतन 384,400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
गुरुत्वाकर्षण: चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 1/6 होता है।
गुरुत्वाकर्षण: चंद्रमा की सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल का लगभग 1/6 होता है।
वायुमंडल: चंद्रमा का वायुमंडल बहुत ही पतला है और इसे "एक्सोस्फियर" कहा जाता है। इसमें अधिकतर हीलियम, नीयन, और हाइड्रोजन जैसे गैसें पाई जाती हैं।
वायुमंडल: चंद्रमा का वायुमंडल बहुत ही पतला है और इसे "एक्सोस्फियर" कहा जाता है। इसमें अधिकतर हीलियम, नीयन, और हाइड्रोजन जैसे गैसें पाई जाती हैं।
दिन और रात का अंतराल: चंद्रमा पर एक दिन (जिसमें एक दिन और एक रात शामिल है) लगभग 29.5 पृथ्वी दिनों के बराबर होता है।
चंद्रमा की सतह: चंद्रमा की सतह पर बहुत सारे गड्ढे, पर्वत, और मैदान (मारे) पाए जाते हैं, जो उल्कापिंडों के टकराव और ज्वालामुखी गतिविधियों के परिणामस्वरूप बने हैं।
प्राकृतिक उपग्रह: चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और यह हमारे सौरमंडल का पांचवां सबसे बड़ा चंद्रमा है।
प्राकृतिक उपग्रह: चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और यह हमारे सौरमंडल का पांचवां सबसे बड़ा चंद्रमा है।
मानव चंद्रमा मिशन: अब तक कुल 12 मनुष्यों ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा है, जिनमें से सभी नासा के अपोलो मिशन (1969-1972) के अंतर्गत गए थे।
मानव चंद्रमा मिशन: अब तक कुल 12 मनुष्यों ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा है, जिनमें से सभी नासा के अपोलो मिशन (1969-1972) के अंतर्गत गए थे।
अंधकार पक्ष: चंद्रमा का हमेशा एक ही पक्ष पृथ्वी की ओर रहता है, इसलिए उसका दूसरा पक्ष "अंधकार पक्ष" कहलाता है, हालांकि वह भी सूर्य के प्रकाश में आता है।
चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्र ग्रहण होता है।
चंद्र ग्रहण: जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे चंद्र ग्रहण होता है।