पैकेटबंद दूध का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव छोटे बच्चों पर पड़ता है.प्रीमैच्योर होने की वजह से पैकेट वाले दूध से उनकी किडनी, लीवर और ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है. इतना ही नहीं, इससे वे मेंटल डिसऑर्डर का भी शिकार हो सकते हैं
पैकेट वाले दूध में कॉन्टैमिनेटेड का ध्यान रखना काफी जरूरी है. यानी दूध में बैक्टीरियल कॉन्टैमिनेशन है तो आपको फूड प्वॉइजनिंग, पेट दर्द, डायरिया, इंटेस्टाइन इंफेक्शन, टाइफाइड, उल्टी, लूज मोशन जैसे इंफेक्शन होने का खतरा हो सकता है.
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पैकेट वाले दूध में कई बार ऐसे कैमिकल भी सामने आए हैं जिनसे कार्सियोजेनिक समस्याएं भी हो सकती हैं.
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अगर आप करीब 10 साल तक इस मिल्क प्रॉडक्ट को ले रहे हैं तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना भी हो सकती है
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक शोध के अनुसार, पैकेट वाले दूध में करीब 10 फीसदी दूषित दूध मिला होता है.