वैज्ञानिकों ने खोजा अबतक का सबसे बड़ा जीवाणु , आकर में है 5 हजार गुना बड़ा
इसकी खोज साल 2009 में फ्रांस के ग्वाडेलोप में यूनिवर्सिटी डेस एंटिल्स (University des Antilles) में एक समुद्री जीव विज्ञानी ओलिवियर ग्रोस(olivier gros) ने की थी। वह समुद्री मैंग्रोव सिस्टम(mangrove system) पर रिसर्च कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने इस जीवाणु को मैंग्रोव के सड़ने वाले पत्तों की सतहों पर देखा था।

वैज्ञानिकों ने अबतक के सबसे बड़े जीवाणु (bacterium) की खोज की है। यह ज्यागदातर पहचाने जा चुके जीवाणुओं से 5,000 गुना बड़ा है और नग्न आंखों से भी दिखाई देता है। थियोमार्गरीटा मैग्नीफा (Thiomargarita magnifica) नाम का यह जीवाणु किसी पतले सफेद फिलामेंट्स जैसा दिखाई देता है, जो हम बल्बह में देखते हैं। इसकी लंबाई लगभग 1 सेमी है। इसकी खोज साल 2009 में फ्रांस के ग्वाडेलोप में यूनिवर्सिटी डेस एंटिल्स (Universite des Antilles) में एक समुद्री जीव विज्ञानी ओलिवियर ग्रोस(olivier gros) ने की थी। वह समुद्री मैंग्रोव सिस्टम(mangrove system) पर रिसर्च कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने इस जीवाणु को मैंग्रोव के सड़ने वाले पत्तों की सतहों पर देखा था।
इसके बाद कई साल तक लैबोरेटरी में इस जीवाणु का विश्लेषण किया गया था। कई वर्षों के बाद यह निष्कोर्ष निकाला जा सका है कि यह एक सल्फर-ऑक्सीडाइजिंग प्रोकैरियोट था। ओलिवियर ग्रोस ने कहा कि जब मैंने उन्हें देखा, तो वो मुझे अजीब लगे। वह सफेद फिलामेंट्स जैसे थे। यूनिवर्सिटी डेस एंटिल्स में मॉलिक्यू लर बायोलॉजी असोसिएट प्रोफेसर सिल्विना गोंजालेज-रिजो ने इस जीवाणु की पहचान के लिए 16S RNA जीन सीक्वेंसिंग भी कीं। वह इस स्ट्डी के और पहले सह-लेखक भी हैं। स्टाडी में रिसर्चर्स की एक टीम ने इस विशाल जीवाणु का वर्णन करते हुए इसकी जीनोमिक विशेषताओं पर प्रकाश डाला है।
गोंजालेज-रिजो(gonzalez-rizzo) का कहना है कि शुरू में उन्होंने सोचा कि ये यूकेरियोट्स(eukaryotes) जीव हैं, क्योंकि वो बहुत बड़े थे और उनमें बहुत सारे तंतु थे। फिर हमने महसूस किया कि वे अनोखे थे क्योंकि वह सिंगल सेल की तरह दिखते थे। स्टवडी के एक और लेखक जीन-मैरी वोलैंड के अनुसार ज्याेदातर जीवाणुओं के डीएनए उनकी कोशिका द्रव्य(cytoplasm) में स्वतंत्र रूप से तैरते हैं, लेकिन इसने उन्हें व्यवस्थित रखा था। रिसर्चर्स को भी यह उम्मीाद नहीं था कि यह एक दिन दुनिया के सबसे बड़े जीवाणु साबित हो जाएंगे। साइंस से जुड़ी कुछ अन्यच खोजों की बात करें, तो खगोलविदों ने एक रोमांचक नई खोज की है। उन्हों ने एक नए जन्मे पल्सर (pulsar) का पता लगाया है, जो सिर्फ 14 साल का हो सकता है। एक सुपरनोवा(supernova) में हुए विस्फोट और उससे निकली ऊर्जा के बाद वैज्ञानिकों ने इस पल्सर ऑब्ज र्व किया। सुपरनोवा में विस्फोट से पल्सहर काफी पतला हो गया। इस खगोलीय निर्माण को ‘पल्सर विंड नेबुला' या ‘प्लेरियन' के रूप में जाना जाता है। इस पल्सर को पृथ्वी से 395 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा में पाया गया है।