Haryana News: हरियाणा विश्वविद्यालयों में शुरू होगा आरपीएल, युवा कर सकेंगे डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स, जानिये क्या है योजना

Haryana News Hindi : हरियाणा के युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है। हालांकि, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद ने आरपीएल यानि प्रायर लर्निंग का एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके द्वारा, प्रदेश के सभी 19 विश्वविद्यालयों में नए सत्र से डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स के शुभारंभ होने जा रहे हैं। इसके अलावा, योग्य छात्रों के लिए एक साल का बीटेक प्रोग्राम का भी विकल्प होगा। इस प्रोजेक्ट के बाद, सफल उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त डिप्लोमा और सर्टिफिकेट मिलेगा। इस प्रकार, युवा अब एक सफल कारीगर के लिए डिप्लोमा और सर्टिफिकेट होल्डर बन सकते हैं।
इसके लिए युवाओं को औपचारिक ट्रेनिंग देने के लिए कौशल प्रशिक्षण केंद्र भी विवि स्तर पर बनाए जाएंगें, ताकि ट्रेनिंग के बाद युवा अपने कौशल को और ज्यादा निखार सकें।
हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद ने इसके लिए पहली कड़ी में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय पलवल को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है।
इसके जरिए पलवल के विश्वविद्यालय में कंपनियों के साथ मिलकर चिह्नित किए गए 15 लोगों के कौशल को बढ़ाने का काम किया जा रहा है।
फिलहाल, इस पायलट प्रोजेक्ट के रुझान काफी बेहतर आए हैं। अब इसे प्रदेश के सभी 19 स्टेट विवि में शुरू करने की योजना तैयार की गई है।
इस प्रोजेक्ट में दो आयाम होंगे। पहला, युवा अनुभवी है और अनपढ़ है, तो वे डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे। दूसरा, यदि 12वीं पास है और अनुभव है तो वह एक साल में अपने क्षेत्र में बीटेक की डिग्री भी कर सकता है।
इस आरपीएल प्रोजेक्ट के जरिए ऐसे कारीगर और कलाकार चुने जाएंगे, जिन्होंने खुद से हुनर को सीखा है, ना कि किसी संस्थान में पढ़कर।
उदाहरण के लिए कुछ लोग आईटीआई पास है, किसी ने एक वर्ष का डिप्लोमा कोर्स किया है, लेकिन उनकी इच्छा यह है कि वह अपने पूर्व ज्ञान और इस औपचारिक ट्रेनिंग को और आगे बढ़ाने का काम करें, वह डिग्री भी ले सकता है।
हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रोफेसर बीके कुठियाला के मुताबिक वर्तमान समय और समाज की आवश्यकता है कि हम अपने युवाओं को ऐसी शिक्षा प्रदान करें। परिषद सभी विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय कर कौशल प्रशिक्षण शुरू करवाना चाहती है, ताकि उस क्षेत्र के युवाओं के अनुभव, पूर्व ज्ञान व वहां के स्थानीय उद्योगों की जरूरत को पूरा किया जा सके।