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UIDAI Adhar: अंगूठे के निशान ने परिवार से मिलवा दी बच्ची,आधार कार्ड का डेटा न होता तो सारी उम्र लावारिस रहती रेशमी

 UIDAI Adhar: दो साल से लापता मूक-बधिर बच्ची को उसके मां बाप से मिलवाने में आधार आईडी के डेटा से मिली मदद

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 लुधियाना की रेशमी को मिले मां-बाप

UIDAI की टीम आधार कार्ड बनाने पहुंची तो मिला डेटा

जानकारी निकलवाई तो मिले रेशमी के मां बाप

 

कानपुर. उत्तर प्रदेश में कानपुर (Kanpur News) के स्वरूपनगर स्थित राजकीय बालिका गृह में रह रही मूक-बधिर बच्ची आखिरकार दो साल बाद अपने परिवार से मिल पाई और उसके घर का पता ढूंढ निकालने में सहारा बना उसके अंगूठे का निशान. उसके इस निशान के आधार पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के अधिकारियों ने उसका पूरा ब्योरा खोज निकाला. अपनी खोई बच्ची को देखकर उसके परिजन भी हैरान रह गए और उनकी आंखों से आंसू निकल आए.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजकीय बालिका गृह के स्टाफ ने बताया कि कानपुर रेलवे स्टेशन पर करीब दो साल पहले 1 फरवरी 2020 को 10 साल की एक मूकबधिर बच्ची लावारिस घूम रही थी. बच्ची को परेशान देख लोगों ने रेलवे की चाइल्ड लाइन टीम को खबर दी. यह बच्ची न बोल पाती और न ही कुछ सुन-समझ पाने में सक्षम थी. वह पढ़ी-लिखी भी नहीं थी कि अपना नाम-पता बता सके.

ऐसे में काफी तलाश के बावजूद जब उसके परिजन नहीं मिले तो बाल कल्याण समिति ने बच्ची को बालिका गृह के सुपुर्द कर दिया. यहीं उसे मनु नाम दिया गया. देखते-देखते दो साल बीत गए, लेकिन उसके मां-बाप का कुछ पता नहीं चल सका. इस बीत महिला कल्याण निदेशालय से भी लावारिस बच्चों के आधार कार्ड बनवाने का आदेश आया.

ऐसे में 23 जनवरी को UIDAI की टीम इन बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए बालिका गृह आई, यहां मनु का भी थंब इंप्रेशन और आई स्कैन किया गया तो पता चला कि उसका बायोमीट्रिक रिकार्ड पहले से ही दर्ज है. ऐसे में आधार टीम ने लखनऊ जाकर फिंगर प्रिंट और रेटिना रिपोर्ट के आधार पर मनु का पहले से बना आधार कार्ड निकाला और वहां से उसका असली नाम और पता मिल गया. आधार कार्ड से पता चला कि उसका असल नाम रेशमी और वह लुधियाना की रहने वाली है.

ऐसे में बालिका गृह ने तुरंत लुधियाना बाल कल्याण समिति से संपर्क किया, जिसके बाद वहीं की एक कालोनी में इस मूक-बधिर बच्ची के परिवार वाले मिल गए. अपनी खोई बच्ची की खबर पाकर रेशमी के परिवार की खुशी का ठिकाना न रहा. वे लोग भी तुरंत कानपुर पहुंच गए, जिन्हें देखते ही रेशमी ने तुंरत पहचान लिया और गले लगकर खूब रोने लगी.

 उपर दी गई फोटो प्रतीकात्मक है